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मैं हूँ मेरी चश्म-ए-तर है रात है तन्हाई है / राज़िक़ अंसारी

मैं हूँ मेरी चश्म-ए-तर है रात है तन्हाई है
दर्द मेरा हम-सफ़र है रात है तन्हाई है

जुगनुओं से साथ चलने की गुज़ारिश कीजिए
हिज्र का लम्बा सफ़र है रात है तन्हाई है

फिर वही यादें वही आँसू वही आह-ओ-फ़ुग़ाँ
फिर वही दीवार-ओ-दर है रात है तन्हाई है

दोस्तों की भीड़ को मसरूफ़ियत में खो दिया
आज फ़ुर्सत बाम पर है रात है तन्हाई है

तुझ को पाने के जुनूँ में हम वहाँ तक आ गए
ख़ुद को अब खोने का डर है रात है तन्हाई है