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मैक्सिको सिटी / विष्णुचन्द्र शर्मा
Kavita Kosh से
मन है जो उड़ रहा है
मन में पाँव उगे हैं
कैसी है मैक्सिको सिटी!
कैसे हैं लोग बाग!
बार-बार मन में
एक नाम मार्गरीटा का आ रहा है।
चेहरा अभी धुँधला है मार्गरीटा का
रानी ने मार्गरीटा के साथ खड़े
डेविड की तस्वीर दी है
कब अमेरिका से डेविड गए थे
मैक्सिको सिटी!
कब उसने एक होटल शुरू किया था।
मेरे कवि के लिए
फ्रीडा क्रोल एक पेंटिंग है
मैक्सिको सिटी की।