मैक चाकू / बैर्तोल्त ब्रेष्त / अनिल एकलव्य
(कुर्त वाइल के साथ ‘थ्री पेनी ओपेरा’ के लिए)
अरे, शार्क के दाँत बड़े सलोने हैं, प्यारे
और वो उन्हें दिखाती है मोती सी चमक से ।
मकीथ के पास, बस, एक चाकू है, प्यारे
और वो उसे रखता है दूर सबकी नज़र से ।
जब शार्क काटती है अपने दाँतों से, प्यारे
तो लाली लहरा के शुरू होती है फैलना ।
महँगे दस्ताने, मगर, मकीथ पहने है, प्यारे
ताकि लाल का नामो-निशान मिले ना ।
फुटपाथ पर इतवार की सुबह
एक शरीर से ज़िन्दगी रिसती है;
नुक्कड़ पर कोई मण्डरा रहा है
क्या ये वही मैक शैली चाकू है ?
नदी तट पर एक कर्षण नौका से
एक सीमेण्ट की बोरी गिरी जा रही है;
सीमेण्ट तो बस वज़न के लिए है, प्यारे ।
हो न हो मैकी में शहर लौट आया है।
और लुई मिलर ग़ायब हो गया है, प्यारे
अपनी सारी नक़दी-वक़दी निकाल कर;
और मकीथ नाविक के जैसे पैसा उड़ाए है ।
क्या भाई ने कुछ कर दिया है जोश में आकर ?
सूकी टॉड्री, जेनी डाइवर इधर,
पॉली पीचम, लूसी ब्राउन उधर,
अरे, लाइन तो दाएँ से बनती है, प्यारे
क्योंकि मैकी जो वापिस है इसी शहर ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल एकलव्य