मैडम निहारता बच्चा / सुदर्शन वशिष्ठ
अलसुबह तैयार हो जाता है
क्लास रूम में बस मैडम को देखता है
एकटक
क्या-क्या करती है मैडम
निहारता
लगाताऱ लगाताऱ-लगाताऱ
बार-बार बुदबुदाता
यस मैडम यस मैडम यस मैडम।
पहली मैडम
सुंदर छरहरी सांवली
जैसा टीका वैसा सूट
जब आती
अगरबत्ती सी जग जाती
वह चाहता
सूँघता रहे सूँघता रहे।
दूसरी लहराती साड़ी वाली
जूड़े में फूल लगाती
लिपस्टिक के रंग वाला
वह चाहता
उसका लाया फूल लगाए
बार-बार मुस्काये।
तीसरी
जींस टीशर्ट वाली
मुँह घुमाते इंगलिश बोलती
होंठों से जैसे झरते फूल
वह दौड़-दौड़ थामना चाहता
नन्हें हाथों से
कोई फूल धरती पर न गिरे।
चौथी
तितली सी रंग बिरंगी
क्लास रूम में उड़ती
बच्चे-बच्चे पर बैठती
पुचकारती सूंघती
वह चाहता
बार-बार उसी पर बैठे।
पाँचवीं
परी
दादी जो कहानी सुनाती
उस परी सी
कंधों पर पंख
कमर में गरारा
अभी अभी जैसे उड़ने को तैयार
वह चाहता
उसे बगल में दबा
ले जाए ऊँचे पहाड़ पर
परी बादल में नहाए
वह पँख छिपाए।
एकटक देखता रहता है बच्चा
बार-बार खिंचता चला जाता
चाहता है
हर मैडम उसे
छाती से भींच कर लगाए रखे
दूर ले जाए
संग घुमाए
शहद चटाए
सुगंध पिलाए
वह बस गुनगुनाता रहे
यह मैडम
यह मैडम
यस मैडम।