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मैथिलीशरण गुप्त / परिचय

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© मैथिलीशरण गुप्त जी की रचनाओं के पारिवारिक प्रकाशनाधिकारी, प्रकाशक एवं अनन्य कॉपीराइट धारक एवं अनुमति प्रदानकर्ता साहित्य सदन / सेतु प्रकाशन, १८४ तलैया, झाँसी-२८४००२ हैं। सम्पर्क सूत्र: pramodgupt54 AT gmail.com, ca.ashishgupt AT gmail.com

मैथिलीशरण गुप्त

मैथिलीशरण गुप्त (१८८६- १९६४ खड़ी बोली के प्रथम महत्वपूर्ण कवि हैं। श्री पं महावीर प्रसाद द्विवेदी जी की प्रेरणा से आपने खड़ी बोली को अपनी रचनाओं का माध्यम बनाया और अपनी कविता के द्वारा खड़ी बोली को एक काव्य-भाषा के रूप में निर्मित करने में अथक प्रयास किया और इस तरह ब्रजभाषा-जैसी समृद्ध काव्य-भाषा को छोड़कर समय और संदर्भों के अनुकूल होने के कारण नये कवियों ने इसे ही अपनी काव्य-अभिव्यक्ति का माध्यम बनाया। हिन्दी कविता के इतिहास में गुप्त जी का यह सबसे बड़ा योगदान है।

पवित्रता, नैतिकता और परंपरागत मानवीय सम्बन्धों की रक्षा गुप्त जी के काव्य के प्रथम गुण हैं, जो पंचवटी से लेकर जयद्रथ वध, यशोधरा और साकेत तक में प्रतिष्ठित एवं प्रतिफलित हुए हैं। साकेत उनकी रचना का सवोर्च्च शिखर है।

अपनी लेखनी के माध्यम से वह सदा अमर रहेंगे और आने वाली सदियों में नए कवियों के लिए प्रेरणा का स्रोत होंगे।