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मैना को फिर ले आना / प्रेम प्रगास / धरनीदास
Kavita Kosh से
चौपाई:-
आसन निकट कुंअर जब आये। तब गोटी मुखते बहिराये॥
उतरि वृक्षतर बैठे राऊ। पुनि पीछे मैना चलि आऊ॥
ले मैना चलु राजकुमारा। जंहवा वैठे सब परिवारा॥
निरखे कुंअर सबे संग सथी। ओ करपर पंखी परमारथी॥
उठे कुंअर-संगी वहराई। जानो मृतक सजीवन पाई॥
विश्राम:-
रोम रोम आनन्द भो, सब सुमिरहिं कत्तरि।
दुखिकी रैनी वीतिगो, भौ सुख को मिनुसार॥99॥