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मैया कर दै मेरौ ब्याह / ब्रजभाषा

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

(बालक श्री कृष्ण जसोदा माँ से कहते हैं-)

झूठेई कहै सगाई करूँ, बात क्यों राखे चोरी की।
मैया कर दै मेरो ब्याह, मँगाय दै दुलहिन गोरी-सी॥
गोरी गुनवारी, होय भोरी-सी बिचारी,
झलकारे नथवारी, बड़े गोप की लली।
लली ढूँढ़ दैरी माय, यामें कहा तेरौ जाय,
झट दुल्हा बनाय, बात मान ले भली॥
भली छोटे हाथन बीच, रचाय दे मेंहदी थोरी-सी।
मैया कर दै मेरौ ब्याह.॥ 1॥

थोरी-सी बरात, ग्वाल-बाल पाँच सात,
मलि हरदी मो गात, सीस सेहरा बँधाय।
धाय कर पूरी रीत, गोपी गाय देंगी गीत,
दे दे नयौ पटपीत, बागौ रेशमी धराय।
धर मुकुट ब्याहिबे जाऊँ, कछाय दै कछनी कोरी-सी
मैया कर दै मेरौ ब्याह.॥ 2॥

कोरी करै बात, बुरौ बलदाऊ भ्रात,
लै न जाऊँगो बरात, राखै कबहु न मेल।
मेल राखै न कबहु, ताय भोरौ कहैं तुहु,
मैया ढूँढ़ दै बहू, सब बन जाय खेल।
खेलन वा दिन घर आई, काहू की छोरी भोरी-सी।
मैया कर दै मेरौ ब्याह.॥ 3॥

भोरी ऐसी ढुँढ़वाय, ले गोदी में बिठाय,
रूठ जाऊँ ले मनाय, कर राखै मन बस।
बस बाबा ते बचाय, मेरी बियार करै आय,
हौले-हौले बतराय, आये बातन में रस।
रस-गाहक दुलहिन ‘श्याम’, प्रीत बढ़े चन्द्र चकोरी-सी।
मैया कर दै मेरौ ब्याह.॥ 4॥