भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मैले दर्पण दोष दे / कुँअर बेचैन
Kavita Kosh से
यदि इस वीडियो के साथ कोई समस्या है तो
कृपया kavitakosh AT gmail.com पर सूचना दें
कृपया kavitakosh AT gmail.com पर सूचना दें
मैले दर्पण दोष दे रहे गोरे चेहरों को
बुरा समय है यार पूजते सभी अन्धेरों को
चापलूस क़लमों ने ओढ़ी चादर सोने की
सच्ची क़लमो के घर पर आवाज़ें रोने की
पीछे से आवाज़ दे रहे गूंगे-बहरों को
कोरे काग़ज़ को कहलाए वेदो की वाणी
और वेद थे जो उनके घर, पन्ने पर पानी
है उपनगर गाली देते बूढ़े शहरों को