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मै आवारा बादल हूँ / पवन कुमार मिश्र
Kavita Kosh से
मुझको तुम आवाज ना देना
पलक भिगो कर नहीं देखना
मै आवारा बादल हूँ ,
तुम मुझे देवता मत कहना
अपना ही नहीं है ठौर कोई
बेबस करता है और कोई
हवा ने बंदी बना लिया .
तुम मेरी बंदिनी मत बनना
सपनो से बसा संसार कभी
मत कहना इसको प्यार कभी
विपरीत दिशाए है अपनी .
तुम मेरी संगिनी मत बनना
कल परसों में है मिटना
कैसे कह दू तुमको अपना
अंतिम यही नियति मेरी है,
इसे प्रेम तुम मत कहना