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मै जीने का दम रखता हूँ / प्रेम कुमार "सागर"


मै जीने का दम रखता हूँ
इतना बड़ा भरम रखता हूँ

इस हँसते चेहरे पर मत जा
दिल के अंदर गम रखता हूँ

कह तो तू मै सबकुछ दे दूँ
थोड़ा बहुत शरम रखता हूँ

दिखला दूँ जग को अंगूठा
नेताओं सा ख़म रखता हूँ

लूट लिया अब दान करूँ कुछ
मै भी नेत-धरम रखता हूँ

रोटी सींके सियासत की बस
तवा ज़रा गरम रखता हूँ

मुल्क न गिरवी रखना प्यारे
तुम पर यही कसम रखता हूँ

नाक रगड़ने आते है कुछ
मै पानी को कम रखता हूँ