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मोटरसाइकिल पर सैनिक / वीरेन डंगवाल

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बत्ती पूरे इलाके की ग़ुम
मैं टहलता था छावनी की एक पेड़ों भरी सड़क पर
सुनील के साथ
तभी सफ़ेद हेलमेट पहना एक सैनिक पुलिस
कहीं से निकला
और मोटरसाइकिल स्टार्ट करने लगा ।

तीसरी बार में ही गाड़ी चल पड़ी
वह थोड़ा सा बढ़ा
फिर कन्धे तक घूमकर
पीछे खाँचे में फँसी
टीन की बक्सिया को उसने हाथ से
बल्कि दाहिने हाथ से टटोला
साथ ही हमें भी देखा
उस चान्दनी भरे अन्धेरे में ।

एक राजसी घोड़े की सी हरकत थी
यह पल-भर का घूरना
टटोलना, सन्देहविहीन घूरना ।

फिर वह चला गया
वसन्त को स्वच्छ रात्रि में
पीछे धड़धड़ाती सड़क पर
उजाले की एक सुरंग बनाता
हेडलाइट से
साथ ही हमें भी देखता
उस चान्दनी भरे अन्धेरे में ।

एक राजसी घोड़े की ऐसी हरकत थी
यह पल-भर-का घूमना
टटोलना, सन्देहविहीन घूरना ।
फिर वह चला गया
वसन्त की स्वच्छ रात्रि में
पीछे धड़धड़ाती सड़क पर
उजाले की एक सुरंग बनाता
हेडलाइट से ।

सुशील बेरोज़गार था
इसलिए शायद
ज़्यादा सोचता रहा होगा इस घटनाक्रम पर ।