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मोटर बाइक / मलय रायचौधुरी / दिवाकर ए० पी० पाल
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मोटर-बाईक यज्दी-य़ामाहा पर हूँ मैं
जब फ़लक की चुनौती और रेत की आँधी के मध्य
ख़ूबसूरत, सजावटी गुबार-से, मेरे पैरों के निकट फटते हैं;
बिना हेलमेट के
और अस्सी की रफ़्तार में हवा को चीरता,
मध्य-ग्रीष्म की चाँदनी तले
खोती हुई सुदूर ध्वनियाँ
तेज़-चाल लौरियाँ पलक झपकते ग़ायब
सोचने के वक़्त से महरुम; पर हाँ
अपघात किसी भी समय संभव है,
भंगार में बदल जाऊँगा; सूखाग्रस्त खेत में ढेर..
1985
मूल बंगला से अनुवाद : दिवाकर ए० पी० पाल