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मोटे सेठ / सूर्यकुमार पांडेय
Kavita Kosh से
जमकर बैठे मोटे सेठ
थल्लम-थल्लम इनका पेट।
सौदा लेने वालों का,
पैसा एक न छोड़ रहे।
चमड़ी से बढ़कर दमड़ी,
कौड़ी-कौड़ी जोड़ रहे।
ऊँचे हरदम रहते हैं,
इनकी सब चीज़ों के रेट।
पैसा लाला का ईश्वर,
पैसा ही इनका साथी।
बन्द तिजोरी में सब कुछ,
फिर भी नींद नहीं आती।
लटका करती धरती तक
खनन-खनन-खन इनकी टेंट।
हाथी-जैसे मोटे सेठ,
थल्लम-थल्लम इनका पेट।