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मोड़ के उस पार है कोहरा / अपूर्व भूयाँ
Kavita Kosh से
संकेत मिले या ना मिले
अचानक कोई एक घटना घट सकती है
बदलना जग का नियम है
ग्रह,सितारों स्थान बदलते हैं
पथ बदलती हैं नदियाँ और हवा का झोंका
मन की गहराई में भी ज्वार-भाता हर पल
दिल चाहने से नए रास्ते आपना सकते हैं
पर छोड़ा हुआ आदत फिर अपनाना भी मुसकिल है
नए आदत प्राप्ति या अप्राप्ति की जड़ है
मोड़ के उस पार है कोहरा
धूप से तप्त रास्ते में अचानक
आ सकती है बाढ़ की विभीषिका
बंदरगाह में भी डूबता है जहाज़
मन की गहराई में जला हुआ आग
बुझाते हैं तूफ़ानों ने
फिर भी स्वप्नाविस्ट रूखा-सूखा मन
बेक़ाबू जीवन भर ।