मगही लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
मोती लगल सेजिया, मुँगे<ref>मूँगा, एक रत्न विशेष</ref> लगल सेजिया।
चाँद देलन जोतिया, सुरुज देलन मोतिया॥1॥
ताहि पर<ref>उस पर</ref> सुतलन दुलहा दुलरइता दुलहा।
आइ गेलइन<ref>आ गई</ref> हे हुनुँके<ref>उसको, पति को</ref> सुखनीनियाँ<ref>सुख की नींद</ref>॥2॥
नीनियाँ बेयागर<ref>व्यग्र, बेचैन</ref> दुलहा तानलन<ref>तान लिया</ref> चदरिया।
दुलहिन सूतल मुख मोर<ref>मुख मोड़ कर</ref> सबुज सेजिया॥3॥
अब न जायब हम परभु जी के सेजिया।
उनखा<ref>उन्हें</ref> पियार<ref>प्यारा</ref> हकइन<ref>है</ref> सबुज सेजे नीनियाँ॥4॥
शब्दार्थ
<references/>