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मोनक बात / मनोज शांडिल्य

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एहि सँ पहिने कि
कुरानक आयत नहि पढ़ि सकबाक कारणें
रेति देल जाय हमर कण्ठ..

एहि सँ पहिने कि
कोनो अभिशप्त सड़क पर धार्मिक विस्फोट में
भ’ जाय हमर देह क्षत-विक्षत..

एहि सँ पहिने कि
पाबनिक समय मे कोनो रेल टीसन पर
सहस्रो गोली सँ छेदा जाय हमर अंग-प्रत्यंग..

हम कहि दी अपन मोनक बात –
मस्जिदक गुम्बद पर देखाइत छथि हमरा
तपस्या मे ध्यानस्थ महादेव
आ सीढ़ी पर देखाइत छथि योगीराज कृष्ण
दैत अर्जुनकेँ गीताक महाज्ञान..

लिअ, छुआ गेल अहाँक देवालय
आब रेतै जाउ बिहुँसैत हमर कण्ठ
करै जाउ हमर देहक खण्ड-खण्ड!