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मोम को पत्थर बताइये / आनन्द किशोर
Kavita Kosh से
किसने कहा कि मोम को पत्थर बताइये
छोटी सी पिन को आप न ख़न्जर बताइये
सहते रहे हो आप अगर आज तक सितम
ख़ामोश क्यूँ रहे हो ये खुलकर बताइये
कहने को जीतने का सभी को है चाव पर
किसको हुआ ख़िताब मयस्सर बताइये
क़ातिल कोई छिपा है इन आँखों में आपकी
हाथों में किसके आप का ख़न्जर बताइये
झूटी ख़बर न दीजिए मंज़िल की आप यूँ
बिन जाए ही वहाँ का न मन्ज़र बताइये
मिलता है इस सवाब का ईनाम दोस्तो
भटके हुओं को रास्ता जाकर बताइये
होना है क्या, लिखा न लकीरों के जाल में
हाथों को देखकर न मुक़द्दर बताइये
देखा था आसमाँ में, उछाला गया था जब
फेंका था किसने आप ये पत्थर बताइये
'आनन्द' दीजिये न हवा झूट को कभी
लेकिन सदाक़तों को बराबर बताइये