भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मोरया आछो बोल्यो रे / राजस्थानी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

मोरिया आछो बोलियों रे ढलती रात ने
मोरिया आछो बोलियों रे ढलती रात ने, रात ने, रात ने
औ, म्हारे हिवडे में बेगी रे गुजार मोरिया
आछो बोलियों रे ढलती रात ने