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मोरा घरे अइलें हो दशरथ के लाल / महेन्द्र मिश्र

मोरा घरे अइलें हो दशरथ के लाल।
पलकन से पग झारूँ हो दशरथ के लाल।
निहुरी निहुरी हम अंगना बहरलों
चोबा चंदन पुराएब हो दशरथ के लाल।
अपना में राम जी के बेनिया डोलाइब
नाचि-नाचि गुन गाइब हो दसरथ के लाल।
अपना मैं रामजी के मेवा खिलइबों
ऊबरल जूठन पाइब हो दशरथ के लाल।
बहुत दिनन के आस हमारी
चरणोदक हम पाइब हो दसरथ के लाल।
द्विज महेन्द्र घर ही प्रभु पाएब
आवा गमन छोड़ाइब हो दसरथ के लाल।