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मोरा जोगिया, मन भावै हो राम / करील जी
Kavita Kosh से
मोरा जोगिया, मन भावै हो राम॥धु्रव॥
लागै सोहावन कपूर जैसन देहिया।
भाल पर चंदा उगावै हो राम॥1॥
आठहू अग जोगी भसम रमावै।
जटा बीच गंगा बहावै हो राम॥2॥
बैठी मसान जोगी धूनियाँ रमावै।
घर-घर अलख जगावै हो राम॥3॥
दुनियाँ में बाँटि जोगी खोवा-मलाई।
भाँग धथूरा चबाबै हो राम॥4॥
अधम ‘करील’ सेवि सिव-पद; रज।
अमल-भगति वर पावै हो राम॥5॥