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मोरी बन्नी नादान आजुल जी से अरज करे / बुन्देली

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

मोरी बन्नी नादान, आजुल जी से अरज करें
मोको ऐसे घर दिया महाराज,
जहाँ बेटी राज करे। मोरी...
जहाँ ब्राम्हण तपत रसोईं,
कहार जहाँ पानी भरे। मोरी...
मोरी झूलों की झूलनहारी,
कटौरन दूध पिये। मोरी...
मोरी रुपयों की परखनहारी,
भुहरों का मोल करे। मोरी...
मोरी छज्जे की पोड़नहारी,
झरोखन बाव ढरे। मोरी...