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मोर गांव के / ध्रुव कुमार वर्मा
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मोर गांव के कुकुर घलो शेर होगे,
कनवा सेठ लादेख न कुबेर होगे।
सरपंची ल पाइस तहले भकला के,
नाक के खाल्हे मेछा के ढेर होगे।
राहत काम के पइसा आइस तहले संगी,
अंधरा मनके हाथ मं बटेर होगे।
डोकरा बपुरा अब्बड़ मांगे खाए बर
डोकरी कथे कउखन खाए के बेर होगे।
मंगतिन के पउरे परिवार नियोजन होइस
एसो ओकर एक ठन लइका फेर होगे।
दशहरा के दिन रावण ल मारिस तहले
राम हा पीके अल्लर चौरा मेर होगे।
मास्टर के गदहा लइका हा पहला आइस
इसकुल घलो में दिल्ली कस अंधेर होगे।
रेचकी दूरी बाहिर में ददरिया गावय
घर म कथे पूजा करत देर होगे।