मोर धन नांगर बइला / नूतन प्रसाद शर्मा
का होगे मोर तीर मं नइये हीरा मोती सोना।
मोर तो धन हे नांगर बइला, डोरा - सुमेला- गोना।
हीरा पन्ना रत्न हा रहितिस, पर कुछु नइ आतिस काम।
बस आंखी मं देखत रहितेंव, हो जातिस सब नींद हराम।
चोरी हो जातिस त होतिस - जिनगी भर के रोना।
का होगे मोर तीर मं नइये हीरा मोती सोना।
मोर तो धन हे नांगर बइला, डोरा - सुमेला- गोना।
कोई भाई मदद मांगतिस, कर नइ पावेंव पर उपकार।
बस लालच मं मरते रहितेंव, इसने तज देतेव संसार।
कोई ला देवव नइ पातेंव - मिट्ठी बात के दोना
का होगे मोर तीर मं नइये हीरा मोती सोना।
मोर तो धन हे नांगर बइला, डोरा - सुमेला- गोना।
नांगर बइला साबर गाड़ा, इही मन धन पूंजी मोर।
इही मन हा जग ला पोंसत, तब तो प्रानी खूब सजोर।
जेहर सबके जीव बचाये, उही बीज ला बोना।
का होगे मोर तीर मं नइये हीरा मोती सोना।
मोर तो धन हे नांगर बइला, डोरा - सुमेला- गोना।
उंचहा किम्मत के वस्तू मन,होत किसनहा बर बेकार।
उही चीज हा आवश्यक हे - जेहर कर दे जग उद्धार।
स्वारथ मं नइ लागे तेला, फोकट काबर ढोना।
का होगे मोर तीर मं नइये हीरा मोती सोना।
मोर तो धन हे नांगर बइला, डोरा - सुमेला- गोना।
एक किसान अटक जाथे ते, दूसर मदद देवत साथ।
एकर बल्दा मूर बियाज ला, नइ मांगे लमिया के हाथ।
मंय राखे हंव तेला ले लव, समय अब नइ खोना।
का होगे मोर तीर मं नइये हीरा मोती सोना।
मोर तो धन हे नांगर बइला, डोरा - सुमेला- गोना।