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मोर - 2 / सरोजिनी कुलश्रेष्ठ

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बड़ी सुहानी भोर
नाच रहा है मोर
गहरी नीली लम्बी गर्दन
मस्ती में लहराती
सिर पर सुन्दर मुकुट सुहाता
चाल बड़ी मदमाती
सतरंगे पंखों को पल में
बन जाता चता एक ओर
बादल जब घिर कर आते हैं
यह हो जाता है मटवाला
कॐ कॐ बोल सुनाता
लगता कोई जादू डाला
पक्षी है, राष्ट्रीय हमारा
रंगबिरंगा मोर
नाच रहा है मोर