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मोर / लक्ष्मी खन्ना सुमन
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घटा देख मस्ताना मोर
खुश होता दीवाना मोर
राजा-सा सिर मुकुट सजा
लगता बहुत सुहाना मोर
सिर पर कृष्ण लगाते पंख
उनका मीत पुराना मोर
सकुचाते क्यों पैरों पर
तन पर क्या शरमाना मोर
उलट रूप से स्वर तेरा
गीत न ऊँचा गाना मोर
नाच 'सुमन'-सा पंख उठा
मत कर कोई बहाना मोर