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मोहब्बत उम्र भर की रायगाँ करना नहीं अच्छा / अमीता परसुराम मीता

मोहब्बत उम्र भर की रायगाँ1 करना नहीं अच्छा 
सँभल ऐ दिल, अना को आसमाँ करना नहीं अच्छा 

कुछ ऐसे राज़ होते हैं बयाँ करना नहीं अच्छा 
हर इक चेहरे की सच्चाई अयाँ2 करना नहीं अच्छा 

किसी नाकाम हसरत की जो सुलगे आग सीने में 
हवा यादों की मत देना धुयाँ करना नहीं अच्छा 

चमन में हूँ तो फिर मैं भी चमन का एक हिस्सा हूँ 
तगा़फु़ल3 इतना मेरे बाग़बाँ4 करना नहीं अच्छा 

हिफ़ाज़त से उतारो अश्क़-ए-ग़म को दिल की सीपी में
किसी क़तरे को बहर-ए-बेक़राँ5 करना नहीं अच्छा 

उजाले ही नहीं है तीरगी6 भी जी़स्त का हासिल
के इन तारीकियों7 को बेज़ुबाँ करना नहीं अच्छा

1. व्यर्थ 2. प्रकट 3. लापरवाही 4. माली 5. निर्बाध समुद्र 6. अंधेरा
7. अंधेरों