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मोहब्बत पर हमारी इस तरह पहरा किया किसने / नन्दी लाल
Kavita Kosh से
मोहब्बत पर हमारी इस तरह पहरा किया किसने।
सिवा इन आँधियों के और भी अच्छा किया किसने।।
अँधरे हो गये काली घटायें घूम घिर आईं,
अलावा बादलो के चांद पर पर्दा किया किसने।।
सभी उगते हुये सूरज के आगे सर झुकाते हैं,
यहाँ पर डूबते अफताब को सजदा किया किसने।।
हमारे साथ जो थे सिर्फ अपनों की तरह थे सब,
हमारे साथ रहकर साथ में धोखा किया किसने।।
न हम दोषी न तुम दोषी न ये दोषी न वो दोषी,
कहो फिर मुल्क में हालात यह पैदा किया किसने।।
यहाँ मुँह देखकर पंचायतों में फैसले होते,
बड़ी बारीकियों से प्यार पर चर्चा किया किसने।।
छपी अखबार की बस सुर्खियों पर ध्यान जाता है,
हकीकत में कहाँ पर क्या हुआ पूछा किया किसने।।