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मोहब्बत में आया है तन्हा अभी रंग / इन्दिरा वर्मा
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					मोहब्बत में आया है तन्हा अभी रंग
 बदलने लगी है मगर ज़िंदगी रंग
 बहारों के आँचल में ख़ुश-बू छुपी है
 गुलों की क़बा में भरे हैं सभी रंग
 तुम्हारे बिना सब अधूरे हैं जानाँ
 सबा फूल ख़ुश-बू चमन रौशनी रंग
 जो भूले से बचपन में पकड़ी थी तितली
 सुरूर-ए-वफ़ा में भी उतरा वही रंग
 न जाने कहाँ से बरसती है बारिश
 सजाती है तेरे अगर दिल-बरी रंग
 मिले 'इंदिरा' मेरा पैग़ाम उन को
 लिए है मुकम्मल मेरी शाएरी रंग
 
	
	

