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मोहर / वीरा

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जागता हुआ बच्चा

जगाता है

एक ठोस विश्वास

ज़िन्दगी में

हृदय के भीतर


और

सोए हुए बच्चे का चेहरा

लगाता है

ईश्वर की मोहर

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(रचनाकाल : 1986)