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मोहिं लखि सोवत बिथोरिगो सुबेनी बनी / पद्माकर

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मोहिं लखि सोवत बिथोरिगो सुबेनी बनी,
          तोरिगो हिय को हार,छोरिगो सुगैया को.
कहै पद्माकर त्यों घोरिगो घनेरी दुख,
          बोरिगो बिसासी आज लाज लागत ही की नैया को .
अहित अनैसो एसो कौन उपहास?यातें,
          सोचन खरी मैं परी जोवति जुन्हैया को.
बुझिहैं चवैया तब कैहों कहा,दैया!
          इत परिगो को मैया! मेरी सेज पै कन्हैया को ?