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मोहोडामा / लक्ष्मीप्रसाद देवकोटा
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या अफीमको लठ बनाइद्यौ,
या प्रणाम ली अब बिदाइ द्यौ,
सुत्न खोज्छ जो्छमुदलोचन,
समय स्थानको दूर गैकन ।
या बनाइद्यौ अब सचेतन,
चोट चोटको पटु विवेचन,
दिवसमा खुला, कदमको भला,
बन्न देऊ रे मनुज केवल !