उसने कहा
जीवन - अभिशाप
इसे वरदान कर दो
वह होकर भी
कहीं नहीं,
उसके होने को
सार्थक कर दो
वह आया
बरसों - बरस वह
जान नहीं पायी
अब न जीवन था
न वह थी
उसने कहा
जीवन - अभिशाप
इसे वरदान कर दो
वह होकर भी
कहीं नहीं,
उसके होने को
सार्थक कर दो
वह आया
बरसों - बरस वह
जान नहीं पायी
अब न जीवन था
न वह थी