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मो मन परी है यह बान / प्रतापबाला

मो मन परी है यह बान।
चतुरभुज को चरण पठिहरि ना चाहूँ कछु आन।
कमल नैन विसाल सुंदर मंद मुख मुसकान॥
सुभग मुकुट सुहावनो सिर लसे कुंडल कान।
प्रगट भाल विशाल राजत भौंह मनहुँ कमान॥
अंग-अंग अनंग को छबि पीत पट पहिरान।
कृष्णरूप अनूप को मैं धरूँ निसि दिन ध्यान॥
सदा सुमिरूँ रूप पल-पल कला कोटि निधान।
जामसुता परताप के भुज चार जीवन-प्रान॥