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मौत से एक फुट दूर / असंगघोष

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कृष्ण नगरी मथुरा में
प्लेटफार्म पर खड़ा
एक बूढ़ा कातर निगाहों से
निहार रहा खिड़की के अन्दर
रोटी खाते बच्चे को,
भूख से बिलबिलाता
हिम्मत कर कहता
भूख लगी है
थोड़ा-सा टुकड़ा दे दो
भूखा हूँ

न बच्चा सुनता है
न रोटी चाभती उसकी माँ
न मैं ही कोई जवाब दे पाता
जानता हूँ
मेरा खाना तो ग्वालियर में चढ़ेगा
भला क्या जवाब दूँ?
ग्वालियर में
ढूँढ़ रहा है मुझे
मेरा खाना पहुँचाने वाला
मोबाईल करता
बिलासपुर डिब्बे के सामने खड़ा
तभी गाड़ी चल दी
फोन पर ही
कहा मैंने दरवाजे पर खड़ा हूँ
दरवाजे पर खड़ा देख
दौड़ता है ट्रेन के साथ-साथ
खाना पहुँचाने वाला
डिब्बाबंद खाना
मेरी ओर बढ़ाता
सरपट भागती
ट्रेन के साथ-साथ दौड़ता
मेरे हाथ से मात्र चार अंगुल दूर
पैकेट बढ़ाता
धड़ाम से गिर पड़ता है
प्लेटफार्म पर
ट्रेन से मात्र
एक फुट दूर!

एक फुट दूर
मौत और ज़िन्दगी से
जिन्दा बचा
प्लेटफार्म पर गिरा पड़ा आदमी

शुक्र है
भागती ट्रेन के नीचे नहीं आया!
धड़धड़ाती हुई मौत
एक फुट दूर से
निकल गई!!

न खाना
न खाना पहुँचाने वाला
मुझ तक पहुँचा
न मथुरा में भूखे को मिला

इसके बाद
क्या अब कभी किसी से कह पाऊँगा?
ट्रेन पर खाना पहुँचाओ भाई!
शायद नहीं हरगिज़ नहीं

अब तो हर बार
मथुरा का वह भूखा बूढ़ा
ट्रेन में रोटी खाता बच्चा
ग्वालियर में खाना लिए
ट्रेन के साथ-साथ दौड़ता
गिर पड़ता नौजवान
मेरी आँखों के आगे
तैर-तैर जाता है!