मौत से मात सदा ज़िन्दगी ने खायी है।
थोड़ी खुशियाँ हैं बहुत दर्द है रुलाई है॥
तितलियाँ फिर उसी गुल पर हैं आके मंडरायीं
कर रहा सिर्फ़ जो भँवरों से आशनाई है॥
जिस मुहब्बत को छुपा रक्खा है दिल में हमने
बाद मुद्दत के वही याद उसे आयी है॥
थी अमावस-सी घिरी रोज़ ही काली रातें
चाँदनी रात बड़ी देर के बाद आयी है॥
लोग कहते हैं कि किस्मत है लिखी हाथों में
हाथ पर क्यों उसी बिखरी यूँ रोशनाई है॥