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मौत से मुँह छिपाने से क्या फायदा / शेष धर तिवारी
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मौत से मुह छिपाने से क्या फायदा
ज़िंदगी को रुलाने से क्या फायदा
एक भी बात उसकी न भाई तुम्हे
अब कसीदे सुनाने से क्या फायदा
ज़िंदगी जो इबारत नहीं बन सकी
उसको उन्वां बनाने से क्या फायदा
जब अदा दिल जलाने की आती न हो
तो मुहब्बत जताने से क्या फायदा
तेरी महफ़िल से तौबा की औ चल दिया
अब ग़ज़ल गुनगुनाने से क्या फायदा
जब गुलिस्तां से भौंरे नदारद हुए
गुल पे पहरे बिठाने से क्या फायदा
एक हम ही तुम्हारे रहेंगे सदा
'शेष' को आजमाने से क्या फायदा