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मौत ही मौत थी, खुदकुशी दूर तक / अमरेन्द्र
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मौत ही मौत थी, खुदकुशी दूर तक
मैंने देखी नहीं जिन्दगी दूर तक
ढूँढता था मैं अपनी खुशी दूर तक
बेबसी-बेकली ही मिली दूर तक
काली रातें हैं काटी यही सोचकर
सामने है बिछी चाँदनी दूर तक
तुमने दिल में जलाया था जो इक चिराग
मिल रही है मुझे रोशनी दूर तक
तुमको ऐसा लगेगा चला ही नहीं
चल के देखो मेरे संग कभी दूर तक
दोस्ती का तो वादा किये आया था
पर निभाता गया दुश्मनी दूर तक
मेरा उठना था दुनिया की दहलीज से
बात जो भी दबी थी उठी दूर तक।