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मौत / अय्यप्प पणिक्कर
Kavita Kosh से
हम कल नहीं मिले होते तो
ढेर सी शंकाएं मेरे मन में बनी रहतीं
अच्छा ही हुआ कि हम मिले और बातचीत की
मैंने तुझे अपना दुश्मन समझा था
आज मैं बहुत करीब महसूस कर रहा हूँ
तेरे बिना न ज़िन्दगी, न खूबसूरती और न प्यार
काफी घुटा घुटा महसूस करता
तेरी बनाई सीमाओं में
लेकिन आज समझ रहा हूँ तेरी भलाई
तेरी अनुपस्थिति से होने वाली घुटन ने
डरा दिया मुझे, मेरी दोस्त!
तू मेरी आत्मा का दूसरा रूप, मेरा आधार
तेरे बिना क्या खूबसूरती, क्या प्यार और क्या ज़िन्दगी!
वही कर जो तू चाहती है।
हिन्दी में अनुवाद :रति सक्सेना