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मौत / असंगघोष
Kavita Kosh से
बड़ी-बड़ी
लाल-लाल आँखों
नुकीले दाँतों
लपलपाती
जिह्वा वाली
मौत!
आती है
कई तरह के
लिबास ओढ़े
चुपचाप तुम्हारी तरह
वह कान में
मूतासूत्र भी
लपेटती है, तो
शिखा भी रखती है
क्या, उसका कोई
रूप-रंग भी होता है
जात भी होती है
तुम
जानते हो
तो बताओ
मौत
भेदभाव
क्यों नहीं करती