भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मौन के आर-पार / विजय चोरमारे / टीकम शेखावत

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

क्या पहुँच सकेंगे
बेवफ़ाई का बहाना किए
प्रियतमा के मन की गहराई में
जमे दुःख के करीब?
भेद पाएँगे
उसका मौन आर-पार?
सहलाकर तल थोड़ा-सा
कर सकेंगे उसका मौन भंग?

एक गाँव उजाड़कर
बसाए गए वेदना के नए गाँव को
समझ सकेंगे
जाकर मौन के आर-पार?

इसके लिए
जो रखना पड़े
सारा जन्म गिरवी
तो रख देंगे।

मूल मराठी से अनुवाद — टीकम शेखावत