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मौन के आर-पार / विजय चोरमारे / टीकम शेखावत
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क्या पहुँच सकेंगे
बेवफ़ाई का बहाना किए
प्रियतमा के मन की गहराई में
जमे दुःख के करीब?
भेद पाएँगे
उसका मौन आर-पार?
सहलाकर तल थोड़ा-सा
कर सकेंगे उसका मौन भंग?
एक गाँव उजाड़कर
बसाए गए वेदना के नए गाँव को
समझ सकेंगे
जाकर मौन के आर-पार?
इसके लिए
जो रखना पड़े
सारा जन्म गिरवी
तो रख देंगे।
मूल मराठी से अनुवाद — टीकम शेखावत