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मौन ग्रहण कर रटूँ निरन्तर / हनुमानप्रसाद पोद्दार

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(राग आसावरी-तीन ताल)

 मौन ग्रहण कर रटूँ निरन्तर, जिह्वासे श्रीराधेश्याम।
 नेत्रोंसे देखूँ न कभी कुछ, रहें दीखते राधेश्याम॥
 कानोंसे सब शब्द त्यागकर, सुनूँ सर्वदा राधेश्याम।
 मनसे सभी प्रपञ्च दूर कर, रहूँ निरखता राधेश्याम॥
 भोग-मोक्षकी चाह मिटे सब, चाहूँ केवल राधेश्याम।
 एकमात्र, बस लगें परम प्रिय मुझको केवल राधेश्याम॥
 मिले उच्च या नीच जन्म, पर रहें सन्ग नित राधेश्याम।
 अतुल अमल सौन्दर्य-सुधा-निधि परम मधुर श्रीराधेश्याम॥