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मौन रहने दो / कौशल किशोर

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किसी चैराहे की पत्थर मूर्ति
या कैलेण्डर की रंगीन तस्वीरों की तरह
मुझे मौन रहने दो

देखते नहीं
सत्य बोलने के जुर्म में
सत्यवादी हरिश्चन्द्र सीखचों में जकड़
आजाद मुल्क की आजादी का
भरपूर उपभोग कर रहा है
और दान देने के जुर्म में
दानवीर कर्ण और दधिचि को
आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है

पागल मत बनो
अधिकार की मांग मत करो
नहीं तो
देश की इस संकटकालीन स्थिति में
जबकि नदी किनारे सूरज औंधा पड़ा है
तुम पर मिरजाफर या जयचंद का ठप्पा लगा
तुम्हारी इज़्ज़त को
किसी चैमुहानी पर उलटाटांग
तुम्हारे खिलाफ
अदालत में राजद्रोह का मुकदमा चलाया जाएगा

हमारे देश में भिखमंगों की लम्बी कतारें
जुटी हैं फेके गये पत्तलों पर
चिपके जुठन के लिए
कुत्तों, कौओं और गिद्धों के साथ

युद्ध करते
इन इन्सानों को देख
बौखलाकर चीखो मत
नींद की गोली खा
गहरी नींद में
सोने वाली सरकार की नींद खराब कर
क्यों अपनी जान की दुश्मन बन रहे हो?

पेट में दर्द
भूख से अतड़ियों में ऐंठन
तुम महाराणा के कैसे वंशज हो
जिन्होंने घास की रोटियों पर दिन गुजारे
जंगल-जंगल भटके
पर सिर नहीं झुकाया
और तुम समझौते की हामी भर रहे हो!

पत्नी बीमार है
उसका तन-बदन श्वेत
वह सूखकर कांटा हो गयी है
तो किसी सरकारी अस्पताल में दिखाओ
मुफ्त की दवा खिलाओ
रंगीन दवाएँ श्वेत तन पर
अपना रंग दिखायेंगी ही
स्वस्थ न सही
रंगीन तो ज़रूर नज़र आएगी
तुम्हारी पत्नी!