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मौन / केदारनाथ अग्रवाल

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मौन

चल रहा है

वंचक चांदनी में

तुम्हारे चम्पक सौन्दर्य के साथ

सल्लज गोपनीयता के पग से


(रचनाकाल : 18.11.1964)