मौसम चुनाव का / सुरेश कुमार मिश्रा 'उरतृप्त'
आ गया मौसम चुनाव का
मौका है तनाव का
आपस में जो लड़वाए
वही है नेता काम का।
चले हैं नेता भीख माँगने
वोटरों को मस्का लगाने।
उनको बहला फुसलाकर
चले हैं वो सरकार बनाने।
चुनाव हर साल कराते हैं
झूठे वादे करते हैं
स्थायी सरकार का सपना दिखाकर
गठबंधन सरकार बनाते हैं।
बहुमत न मिलने पर
बन जाते हैं मेंढ़क वे
शुरु कर देते हैं उछलना
बनाते हैं मिली जुली सरकार वे।
मिली जुली सरकार का कोई
होता है नाराज़ नेता
खींच लेता है साथ अपना
देश को है चुनाव देता।
फिर से चुनाव होते हैं
फिर से झूठे वादे करते हैं
स्थायी सरकार का सपना दिखाकर
गठबंधन सरकार बनाते हैं।
आज के नेता भूखे हैं
कुर्सी और मंत्रीपद के
पेट वे अपना भरते हैं
इंसानियत को खा-पी के।
हमारी है प्रार्थना आपसे
अपने वोट का करे सही इस्तेमाल
बनाए एक सुव्यवस्थित सरकार
जिसमें हो सके गरीबों का कल्याण।