मौसम देने लगा सभी को,
सर्दी का पैगाम.
लगी सिकुड़ने धीरे धीरे,
सुबह, दोपहरी, शाम.
(१)
हल्के हुए धूप के तेवर,
लहर शीत की दौड़ी.
हारा हुआ जुआरी जैसे,
फेंके अपनी कौड़ी.
सूरज भी अपने अश्वों की,
कसने लगा लगाम.
(२)
सिमटी बैठी हैं चौपालें,
चुप साधे चौबारे.
दूर दूर झीलों पर फैले,
बजरे खड़े किनारे.
जल में सीपी, शंख रेत में,
सब करते आराम.
(३)
सभी तरफ पसरा सन्नाटा,
बिछी धुंध की चादर.
आमंत्रण पाकर अलाव का,
जुड़ने लगे बिरादर.
लगे खोलने गांठे मन की
कर के दुआ सलाम.