भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मौसम / लीलाधर जगूड़ी
Kavita Kosh से
जितने बादल उमड़ेंगे आसमान में
उतनी घास उमगेगी ज़मीन से
दोनों के ही उद्दण्ड मौसम
अतिथियों की तरह जाते हैं कृत-कृत्य होकर ।