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म्वाछन का कीन्हें सफाचट्ट / रमई काका

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म्वाछन का कीन्हें सफाचट्ट,
मुँह पौडर औ सिर केस बड़े।
तहमद पहिरे कम्बल ओढ़े,
बाबू जी याकै रहैं खड़े।।
  
हम कहा मेम साहेब सलाम,
उई बोले चुप बे डैमफूल।
‘मैं मेम नहीं हूँ साहेब हूँ‘,
हम कहा फिरिउ ध्वाखा होइगा।।