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म्हानै तो औ ई चाव कलाळी / सांवर दइया
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(भवानीसिंह राठौड़ खातर)
म्हानै तो औ ई चाव कलाळी
म्हैं लेसां, तू दै दाव कलाळी
आ मौज महफिल तो मन री हुवै
अठै आ कुण पूछै भाव कलाळी
अळधै सूं देख्यां कांई सरै
काळजियै पूग्यां साव कलाळी
एक प्यालो दे क्यूं रोकै हाथ
मांय लागी लाव-लाव कलाळी
तूं मत रूसजै, तूं सांस म्हारी
नित हरखी-हरखी आव कलाळी