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म्हारी माट्टी पिटगी हो इस भठियारी कै आण कै / मेहर सिंह

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वार्ता- इधर रानी अम्बली जहाज में बैठी हुई क्या विचार करती है-

म्हारी माट्टी पिटगी हो इस भठियारी कै आण कै।टेक

ईब या विप्त पड़गी भारी
न्यू घणी होरी सै लाचारी
म्हारी इज्जत घटगी हो यो दुःख ले लिया जाण कै।

ईश्वर की हुई सख्त निगाह
ईब बता नै म्हारा के राह
मैं धोखे मैं लुटगी हो चाली ना बखत पछाण कै।

ईब म्हारी बिगड़ गई हैसीत
होणी कदे ना होण दे जीत
इस की नीत पलटगी हो दया नहीं अन्याण कै।

कहै मेहर सिंह ज्यान त्यागणी
जणुं लहरे पै मरै नागणी
रागनी लय सुर मैं घुटगी हो कवियां मैं ज्ञान पछाण कै।