वार्ता- चाप सिंह सोमवती को सांत्वना देता है और उसे सामाजिक धर्म के बारे में क्या समझाता है-
प्रदेसां मैं जां सूं गौरी लोग हंसाईये मतना
म्हारे खानदान की इज्जत कै तूं बट्टा लाईये मतना।टेक
बखत पड़ै पै पाटूं न्यारा समय आवणी जाणी
कदे मद जोबन के बस में होकै करदे राम कहाणी
समझण जोगी स्याणी, सै तूं गलती खाईये मतना।
आठूं पहर घूंघट में रहणा आऐ गये नै पिछाणै
छोटा देवर तेरा लाडला उसनै बेटे केसा जाणै
गैर बखत तूं घरां बिराणै, बिल्कुल जाईये मतना।
मिट्ठी बात कहण की हो सै रमज्या से गातां मैं
म्हारे खानदान की ईज्जत तूं राख लिए हाथां मैं
गैर आदमी की बातां में, तूं बिल्कुल आईये मतना।
जाट मेहरसिंह कष्ट कमाई हर दम तेरे साथ में
मात पिता की सेवा करिऐ हरदम दिन रात में
घर की खास बात नै, गौरी कितै बाहर बताईये मतना।